The Basic Principles Of Shiv chaisa
The Basic Principles Of Shiv chaisa
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जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि shiv chalisa lyricsl चैन न आवै॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
स्वामी एक है Shiv chaisa आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥